लेखनी कविता -थरथरी सी है आसमानों में - फ़िराक़ गोरखपुरी

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थरथरी सी है आसमानों में / फ़िराक़ गोरखपुरी थरथरी सी है आसमानों में जोर कुछ तो है नातवानों में कितना खामोश है जहां लेकिन इक सदा आ रही है कानों में ...

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